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  • इस वर्ष का पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन उत्तर प्रदेश प्रान्त स्थित- मथुरा शहर के वृंदावन नगर के फोगला आश्रम में 22-23-24 नवंबर माह में आयोजित किया गया है| समय प्रातः 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक पंजीकरण शुल्क 1500 रुपए मात्र, भोजन एवं निवास के लिए अलग से सम्पर्क करें- गव्यसिद्ध शतीश गर्ग उत्तर प्रदेश – 9897606239 एवं गव्यसिद्ध डॉ. रणवीर सिंह उत्तर प्रदेश 9498657953

  • प्रादेशिक संगठन

  • पंचगव्य विचार (Poll) 18:05:23

    भारत में पंचगव्य सहित कई पारंपरिक चिकित्सा उच्चकोटि के हैं लेकिन सरकारें इनकी वैद्द्यता पर प्रश्न चिन्ह लगा कर रखा है, ऐसी पारंपरिक विद्द्या को पुर्णतः स्थापित करना होगा. – वैद्द्य महासभा, केरल

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  • सूचना

  • सभी थेरेपी के डॉक्टर, वैद्द्य, थेरेपिस्ट आदि के लिए उपयोगी पाठ्यक्रम
    (1) एडवांस पंचगव्य थेरेपी – 1 वर्ष का पाठ्यक्रम एवं 1 वर्ष का अभ्यासक्रम
    (2) इंटीग्रेटेड पंचगव्य थेरेपी – 1.5 वर्ष का पाठ्यक्रम एवं 1 वर्ष का अभ्यासक्रम
    (3) गर्भशुद्धि-गर्भधारण-प्रसूति व बालपालन थेरेपी – 5 दिवस
    (4) विशेषज्ञ कोर्स – हृदय, कैंसर, अर्थरेटिक्स, टीबी, चर्मरोग, माइग्रेन, पुरुष बाँझपन, नारी बाँझपण, बाल रोग, सिकल सेल, फस्टएड, हड्डी, डायबीटीक्स. – 3 दिवस
    भारत में पहली बार सभी भारतीये भाषाओं में पंचगव्य चिकित्सा विज्ञान (गऊमाँ के गव्यों) की आधिकारिक पढाई. पंचगव्य अब एक सम्पूर्ण चिकित्सा थेरेपी. हमारा नारा है
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    पंचगव्य पद्धति एक ऐसी पद्धति है जिसमें औषधि से कोई दुष्परिणाम नहीं होता| आज की सबसे बड़ी समस्या है कि  दूसरी पद्धति में होने वाले चिकित्सा के कारण आए हुए दुष्परिणाम को ठीक कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि रोगी सीधे पंचगव्य पद्धति में चिकित्सा कराता है तो वह पूर्णतः शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है लेकिन जब वह किसी दूसरी पद्धति में अपना समय बर्बाद करने के बाद पंचगव्य पद्धति में चिकित्सा के लिए आता है तो पंचगव्य पद्धति में उसका उपचार बहुत कम हो पाता है और समय भी बहुत ज्यादा लग जाता है जिसकी वजह से हम गव्यसिद्ध को बहुत समस्या हो रही है।
    गव्यसिद्ध डॉ असोसिएशन कांचीपुरम रोगी के परिवार वालों को एक महत्वपूर्ण संदेश देना चाहता है कि यदि आपके घर में कोई रोगी है तो उसको आप पंचगव्य पद्धति से रोग की आरंभिक स्थित में ही चिकित्सा कराएं, तो आपको जल्दी परिणाम मिल जाएगा यदि किसी दूसरी पद्धति में फंस जाएंगे, बाद में पंचगव्य औषधि भी उस पर कम काम कर पाती है।
    आज सबसे ज्यादा समस्या कैंसर की है और हमारा जो अनुभव है वह यह कि यदि कैंसर का मरीज बिना एक भी कीमो कराए आए तो ही वह जल्दी पूर्णतः स्वस्थ हो पाता है। आज पंचगव्य बहुत तेजी से अच्छे परिणाम दे रहा है।
    कोई भी रोग शरीर में 5 माहभूतों के बिगड़ने से होता है और यह पांचों महाभूत पूर्णतः प्राकृतिक रूप में सिर्फ देशी गौ माता के गव्यों में हैं। गव्यों का औषधि के रूप में सेवन करने से कोई भी रोग पूर्णतः ठीक हो जाता है।
    समस्या यही है कि कम प्रचार-प्रसार होने की वजह से रोगी सभी जगह से थक हारने के बाद ही पंचगव्य पद्धति में चिकित्सा को आता है उसके बाद रोगी की पूर्णतः चिकित्सा संभव नहीं हो पाती। आप सभी से अनुरोध है कि यह जानकारी अभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाएं ताकि कोई पीड़ित समय से पंचगव्य चिकित्सा का लाभ ले सके।
    धन्यवाद ।
    आचार्य गव्यसिद्ध डॉ रणवीर सिंह( MD in panchgavya, IPT)

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