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“पंचगव्य डॉक्टर असोसिएशन” की स्थापना 2015 में तमिलनाडु सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत हुई थी. पहली बार भारतीय चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में कार्य करने वालों के संघटन को डॉक्टर असोसिएशन नाम मिला. इसी आधार पर 2016 में इसका पंजिकरण केंद्र सरकार के अंतर्गत सेंट्रल सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत हो गया. इसमें पंचगव्य गुरूकुलम, पंचगव्य विद्यापीठम या इसके विस्तार केन्द्रों से कम से कम एम्. डी. (पंचगव्य), ए.डी.पि.टी. की शिक्षा प्राप्त गव्यसिद्ध इसमें सदस्य बन सकते हैं. पंचगव्य चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्य जो पंचगव्य गुरूकुलम, पंचगव्य विद्यापीठम या इसके विस्तार केन्द्रों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं वे भी “अभ्यार्थी” सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं. जो की उनके नामांकन तिथि से 36 माह के लिए वैद्य होगा. इसके बाद वे स्थाई सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं.
“पंचगव्य डॉक्टर असोसिएशन” के गठन का मूल उद्देश्य पंचगव्य गुरूकुलम, पंचगव्य विद्यापीठम या इसके विस्तार केन्द्रों से प्रति वर्ष तैयार होने वाले लगभग पांच सौ पञ्चगव्य के गव्यसिद्धों को चिकित्सा के सम्बन्ध में सही – सही मार्ग दर्शन देना है. उन्हें समय – समय पर कानूनी सावधानियों से भी अवगत करना है. नए – नए शोध की भी जानकारी उन्हें प्रतिवर्ष होने वाले महासम्मेलनों में मिलाता रहे. साथ ही प्रादेशिक पंचगव्य सम्मलेन सभी प्रदेशों में प्रतिवर्ष मनाया जाये ताकि लोगों में पंचगव्य के प्रति जाग्रति बढती रहे. इसके अलावा जिला स्तरीय सम्मलेन का भी आयोजन हो सके.
ज्ञातव्य है की “पंचगव्य डॉक्टर असोसिएशन” प्रतिवर्ष एक महासम्मेलन अलग – अलग प्रदेशों में अमर बलिदानी राजीव भाई की भारतीय तिथि के अनुसार “काल भैरव अष्टमी” के दिन आयोजित करता रहा है. पहला महासम्मेलन वर्ष 2014 में चेन्नै और कट्टावाक्कम में किया गया था. द्वितीय महासम्मेलन महाराष्ट्र के सांगली में आयोजित किया गया था. तृतीय महासम्मेलन राजस्थान के पुष्कर में हुआ. चतुर्थ महासम्मेलन गुजरात के द्वारिका में और पाचवां पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 9 नवम्बर से 12 नवम्बर के बीच संपन्न हुआ. षष्टम पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन केरल प्रान्त के कालडी में संपन्न हुआ. सप्तम पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन ओड़िसा के श्री जगरनाथ पूरी में वर्ष 2019 में हुआ.
असोसिएशन का एक और मुख्य उद्देश्य गव्यसिद्धों को संगठित रखना, नए – नए औषधियों से गव्यसिद्धों को अवगत करना, समय – समय पर भारत भर में पंचगव्य चिकित्सा सम्मलेन आयोजित करना, राज्य स्तरीए सम्मलेन आयोजित करना, जिला स्तारिये पंचगव्य सम्मलेन आयोजित करना आदि है.
जो गव्यसिद्ध “पंचगव्य डॉक्टर असोसिएशन” के सदस्य बनेंगे, उन्हें सदस्यता प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा. जिसमें उनका पंजीकरण अंक इस प्रकार होगा – “ए.डी.पि.टी-0111/17” (ADPT-0111/18). होगा. उन्हें इसके लिए परिचय प्रमाण पत्र और पंजीकरण पत्र भी प्रदान किया जायेगा.